मेरठ लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज पश्चिमी उत्तर प्रदेश का काफ़ी पुराना चिकित्सालय है जो सदैव ही छात्र हित व जन हित में कार्य कर रहा है। इसी क्रम में आज दिनांक 25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस के अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। ताकि लोगों को इससे संबंधी ज़रूरी जानकारी दी जा सके। कार्यक्रम में चर्म रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमरजीत ने बताया कि विटिलिगो, जिसे आम भाषा में 'सफेद दाग' कहा जाता है, न तो इन्फेक्शन है और न ही यह किसी के छूने से फैलता है, लेकिन जानकारी की कमी के कारण आज भी इसे लेकर कई गलतफहमियां समाज में फैली हुई हैं। विटिलिगो एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, यानी यह हमारे इम्यून सिस्टम से जुड़ा होता है। इस स्थिति में त्वचा में मौजूद 'मेलानोसायट्स' नामक कोशिकाएं, जो त्वचा का रंग निर्धारित करती हैं, या तो नष्ट हो जाती हैं या काम करना बंद कर देती हैं। इसका परिणाम होता है- शरीर के विभिन्न हिस्सों पर सफेद या हल्के रंग के दाग। विभाग की डॉ सौम्या सिंघल ने बताया कि विटिलिगो को बीमारी नहीं, बल्कि एक फिजिकल कंडीशन की तरह देखना चाहिए। यह न तो दर्द देता है और न ही किसी अन्य अंग को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन इसका मानसिक असर जरूर हो सकता है- खासकर जब समाज में इसे लेकर भ्रम या शर्मिंदगी की भावना जुड़ी हो।इसका इलाज संभव है।विटिलिगो का इलाज हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि दाग कहां हैं, कितनी तेजी से फैल रहे हैं और मरीज की उम्र और सेहत की स्थिति क्या है। अच्छी खबर यह है कि अब कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं (1) टॉपिकल क्रीम्स: कुछ खास स्टेरॉइड क्रीम या इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने वाली दवाएं शुरुआती दागों को रोकने और हल्का करने में मदद कर सकती हैं। (2) लाइट थेरेपी (फोटोथेरेपी): नैनो-UVB लाइट तकनीक से त्वचा के रंग को सामान्य बनाने में काफी मदद मिलती है। यह थेरेपी अब भारत के कई शहरों में भी उपलब्ध है। माइक्रोपिग्मेंटेशन और (3) सर्जरी: अगर दाग स्थायी हो चुके हैं और लंबे समय से एक जैसे हैं, तो स्किन ग्राफ्टिंग या माइक्रोपिग्मेंटेशन जैसे ऑप्शन उपलब्ध हैं। (4) नई दवाओं की खोज: अमेरिका में 'Opzelura' नामक एक क्रीम को अनुमति मिल चुकी है, जो इम्यून सिस्टम को बैलेंस कर सफेद दागों को भरने में मदद करती है। भारत में भी इस पर शोध जारी है। विभाग की डॉ आकांशा ने विटिलिगो के मरीजों के लिए जरूरी हेल्थ टिप्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मरिज़ो को (1) धूप से बचाव करें धूप में निकलने से पहले ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन जरूर लगाएं, क्योंकि प्रभावित स्किन ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है। (2) बैलेंस डाइट लें विटामिन B12, C और D से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे फल, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज आदि डाइट में शामिल करें। (3) स्ट्रेस से दूर रहें तनाव विटिलिगो की स्थिति को बढ़ा सकता है, इसलिए योग, ध्यान और खुद से सकारात्मक बातचीत जैसी एक्टिविटीज अपनाएं। (4) सोच-समझकर इस्तेमाल करें कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स कई बार लोग सफेद दाग छिपाने के लिए भारी मेकअप या प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है। किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना ऐसा न करें। (5) कॉन्फिडेंस है सबसे बड़ा इलाज विटिलिगो से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती दाग नहीं, बल्कि समाज की सोच है। जब तक लोग इस बारे में सही जानकारी नहीं रखेंगे, तब तक मरीज मानसिक रूप से परेशान रहेंगे। इसलिए जरूरी है कि हम इस पर बात करें, जागरूकता फैलाएं और इससे जुड़ी शर्म या डर को खत्म करें। उपरोक्त कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्य, पेरामेडिकल स्टाफ,विद्यार्थीगण आदि उपस्थित रहे।