विशेष बच्चों के लिए आशा की किरण: ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर का अनूठा प्रयास

 

गाजियाबाद विजय नगर क्षेत्र में आज के तेजी से बदलते सामाजिक और शैक्षणिक परिवेश में हर बच्चे से अपेक्षा की जाती है कि वह सामान्य विकास के मानकों पर खरा उतरे, बोलना, समझना, पढ़ना-लिखना और सामाजिक व्यवहार करना जल्दी सीख जाए। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो इन सामान्य विकासक्रमों से भिन्न होते हैं — न तो वे समय पर बोल पाते हैं, न आँखों में आंखें डालकर संवाद कर पाते हैं, और न ही साधारण सामाजिक वातावरण में सहज महसूस करते हैं। ऐसे बच्चों को अक्सर 'विशेष आवश्यकता वाले बच्चे' कहा जाता है। इनमें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, ADHD, लर्निंग डिसेबिलिटी, डाउन सिंड्रोम, सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं, जो उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास को प्रभावित करती हैं। दुख की बात यह है कि हमारे समाज में अब भी ऐसे बच्चों को लेकर जागरूकता की भारी कमी है — माता-पिता तक समझ नहीं पाते कि उनके बच्चे को ‘डांटने’ की नहीं, बल्कि समझने, जाँच कराने और विशेष सहायता दिलवाने की ज़रूरत है। ऐसी ही चिंताओं और संघर्षों के बीच, ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर एक प्रकाश स्तंभ की तरह उभर कर सामने आया है, जहाँ हर बच्चे को प्रेम, समझ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सही हस्तक्षेप के साथ सशक्त बनाया जा रहा है। इस केंद्र का संचालन डॉ. राकेश कुमार और डॉ. वंदना के सशक्त मार्गदर्शन में हो रहा है, जो खुद बाल मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनका उद्देश्य स्पष्ट है — बच्चों को लेबल नहीं, अवसर चाहिए; और यदि सही समय पर सही हस्तक्षेप मिले, तो हर बच्चा समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकता है। सेंटर की टीम में विशेष शिक्षा, थैरेपी, काउंसलिंग और पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षित विशेषज्ञ मौजूद हैं, जो हर बच्चे को व्यक्तिगत रूप से समझते हुए उसकी ज़रूरत के अनुसार योजना बनाते हैं। स्पेशल एजुकेटर सुश्री गीतांक्षी बच्चों की शैक्षणिक कठिनाइयों को समझकर उनके लिए IEP (Individualized Education Program) बनाती हैं, जिसमें उनकी समझ, ध्यान, सामाजिक व्यवहार, लेखन, गणना आदि के विकास पर कार्य किया जाता है। उनके निर्देशन में कई बच्चे अब नियमित स्कूलिंग की ओर बढ़ रहे हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट श्री अनुकेत उन बच्चों के साथ काम करते हैं जिन्हें मोटर स्किल्स (जैसे पकड़, संतुलन, शरीर नियंत्रण), सेंसरी इनपुट (आवाज़, स्पर्श, गंध आदि से असामान्य प्रतिक्रिया), या दैनिक जीवन के काम (खाना खाना, कपड़े पहनना, बटन लगाना आदि) में कठिनाई होती है। वह बच्चों को स्वावलंबी बनाने और जीवन कौशल सिखाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, स्पीच थैरेपिस्ट श्री दीपक कुमार उन बच्चों के लिए मार्गदर्शक हैं जो या तो बोल नहीं पाते, या ठीक से उच्चारण नहीं कर पाते, या अपनी बात स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सकते। उनके थेरेपी से कई बच्चों ने ना सिर्फ शब्दों को बोलना सीखा, बल्कि माता-पिता से पहली बार 'माँ' और 'पापा' जैसे शब्द कहकर पूरे परिवार की आँखों में खुशी के आँसू ला दिए। इस सेंटर की एक और विशेषता है माता-पिता को लगातार शामिल करना। हर बच्चे की थैरेपी के साथ-साथ माता-पिता को भी ट्रेनिंग दी जाती है कि वे घर पर कैसे बच्चे के व्यवहार, भाषा, ध्यान और सामाजिक कौशल में सहयोग कर सकते हैं। डॉ. वंदना का मानना है कि परिवार ही बच्चे का पहला और सबसे प्रभावशाली शिक्षक होता है। ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर न केवल थेरेपी का स्थान है, बल्कि एक ऐसा संवेदनशील और सुरक्षित माहौल है, जहाँ बच्चे सहज महसूस करते हैं, डर और हिचक को पीछे छोड़ते हैं और धीरे-धीरे जीवन की मुख्यधारा की ओर बढ़ते हैं। यह केंद्र आज दर्जनों विशेष बच्चों की ज़िंदगी में सकारात्मक परिवर्तन ला चुका है और निरंतर अपने प्रयासों से समाज में जागरूकता फैला रहा है। डॉ. राकेश कुमार कहते हैं — “हर बच्चा अलग है, लेकिन कोई भी बच्चा असंभव नहीं है। ज़रूरत है केवल समय पर पहचान और सही दिशा की।” यह संदेश पूरे समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है कि विशेष ज़रूरत वाले बच्चों को नज़रंदाज़ करने की बजाय, उन्हें समय रहते उचित चिकित्सा, शिक्षा और सहयोग उपलब्ध कराया जाए। ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर जैसे संस्थान इसी विश्वास और समर्पण के साथ कार्य कर रहे हैं, और यह हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम इस मुहिम का हिस्सा बनें, ताकि हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता के साथ विकसित हो सके और आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और समाज का गरिमामय सदस्य बन सके

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